झाँसी
मामला झांसी जनपद के ब्लॉक बंगरा लारौन केंद्र अंतर्गत आने वाले कटेरा नगर और देहात के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों की है जहां पर लगातार बेसिक शिक्षा अधिकारी के द्वारा औचक निरीक्षण किया जा रहा है और निरीक्षण के दौरान अधिकतर विद्यालयों में लगातार शिक्षक,शिक्षिकाओं की कई खामियां सामने आ रही है किसी विद्यालय में कई महीनो से प्रधानाध्यापक नहीं आ रहे है तो किसी विद्यालय में एक या दो ही शिक्षक आते हैं और अधिकारियों के आदेश देने के बाद भी विद्यालय में आवास बनाए हुए शिक्षामित्र आवास खाली नहीं कर रहे हैं वही नियम के विरुद्ध रसोईया विद्यालय में लगे हुए हैं और मिड डे मील योजना के अंतर्गत मीनू के अनुसार विद्यालय में भोजन भी बच्चों को नहीं दिया जाता है यहां तक की शासन द्वारा तैनाती स्थल पर रहने के आदेश को भी सहायक अध्यापक और अध्यापिकाएं ठेंगा दिखा रही हैं जिस कारण समय पर तो किसी भी विद्यालय में अध्यापक और अध्यापिकाएं नहीं पहुंचती हैं यहां तक की देहात के कुछ विद्यालयों में तो हाल यह है कि सुबह 10:05 तक भी विद्यालय में तैनात स्टाफ नहीं पहुंचता है और वहां रसोईया ही विद्यालय को खोलती है और यह हाल कटेरा देहात और नगर के अंतर्गत आने वाले अधिकतर प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों का है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पता चला कि कई प्रधान अध्यापक और सहायक अध्यापक और अध्यापिकाओ के संबंध सरकार से जुड़े कुछ समाजसेवियों से हैं जिसके चलते विद्यालयों में तानाशाही करते हैं और अगर इनके खिलाफ बेसिक शिक्षा अधिकारी कोई एक्शन भी लेता हैं तो उनके ऊपर सरकार से जुड़े नेताओं के फोन आ जाते हैं जिससे वह ऐसे तानाशाही सहायक अध्यापक और अध्यापिकाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी नहीं कर पा रही हैं सरकार भले ही प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा का स्तर बढ़ने के लिए कई अभियान चला रही है और कई योजनाएं चला रही है लेकिन इन सब का कोई असर नहीं हो रहा है यहां तक की सरकार द्वारा बच्चों को मिड डे मील योजना के अंतर्गत भोजन देती है लेकिन इसमें भी ऐसे तानाशाही प्रधान अध्यापक और अध्यापिकाएं इस योजना में पलीता लगा रही हैं और विद्यालयों में शिक्षा का स्तर भी गिरता जा रहा है ऐसा नहीं है कि इसकी खबर पहली बार निकल रही हो ऐसी खबरें कई बार समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए कई बार निकाली गई है लेकिन आज तक कटेरा नगर और देहात के विद्यालयों में कोई सुधार नहीं हुआ है और ना ही किसी प्रधान अध्यापक और सहायक अध्यापक अध्यापिकाओं के ऊपर विभागीय कार्रवाई की गई है अब देखने वाली बात यह है कि ऐसे तानाशाही अध्यापक और अध्यापिकाओं के ऊपर शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी कड़ी कार्रवाई करते हैं या नहीं और शिक्षा का स्तर सुधारने और सरकारी योजना में हो रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है ।
रिपोर्टर अंकित साहू
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