“किसी वयस्क व्यक्ति को जिंदा रखने के लिए जितनी ऑक्सीजन की जरूरत है, वह उसे 16 बड़े-बड़े पेड़ों से मिल सकती है।”
कोंडागांव 22 मार्च 2024/भारत स्काउट एवं गाइड जिला संघ कोंडागांव के निर्देशानुसार एवं जिला संगठन आयुक्त भीषभ देव साहू के मार्गदर्शन में तथा कब-मास्टर पवन कुमार साहू, शिक्षिका श्रीमती संतोषी पटेल, शासकीय प्राथमिक शाला मुरारीपारा बड़ेबेंदरी के नेतृत्व में कब-बुलबुल टीम के द्वारा सरस्वती माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित एवं पुष्प अर्पित कर विश्व वानिकी दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
इस अवसर पर कब-मास्टर पवन कुमार साहू एवं शिक्षिका श्रीमती संतोषी पटेल ने कब-बुलबुल टीम के छात्र-छात्राओं को जानकारी देते हुए कहा कि प्रतिवर्ष 21 मार्च को पेड़ों के महत्व के विषय में जन जागरूकता फैलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “विश्व वानिकी दिवस” मनाया जाता है ।जंगलों को बचाए रखने के लिए वर्ष 1971 में यूरोपीय कृषि संगठन की 23वीं आमसभा में 21 मार्च को प्रतिवर्ष “विश्व वानिकी दिवस” के रुप में मनाने का फैसला किया गया। बाद में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने भी पेड़ों के महत्व के विषय में जन-जागरूकता फैलाने के लिए 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “विश्व वानिकी दिवस” मनाने पर अपनी सहमति दी।तभी से 21 मार्च को प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वनों की सुरक्षा, उत्पादन एवं वन विहार के बारे में लोगों को जानकारी देने के उद्देश्य से “विश्व वानिकी दिवस” मनाने की शुरुआत हुई। पर्यावरणविदों के अनुसार मनुष्य अपने लालच की पूर्ति के लिए जंगलों का विनाश करना शुरू किया। जिससे जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, ग्लेशियर का पिघलना जैसे विकट समस्या शुरू हुई है। अगर हम अभी भी इस विषय पर ध्यान नहीं दिए तो समस्त प्रकृति व जीव खतरे में पड़ जाएंगे। किसी वयस्क व्यक्ति को जिंदा रखने के लिए जितनी ऑक्सीजन की जरूरत है। वह उसे 16 बड़े-बड़े पेड़ों से मिल सकती है। लेकिन पेड़ों के अंधाधुंध कटाई से उनकी संख्या दिनों-दिन कम होती जा रही है ।वर्तमान समय में वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को सोखकर धरती पर रह रहे असंख्य जीवधारियों को प्राण वायु ऑक्सीजन देने वाले जंगल आज खुद अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पृथ्वी को इस घोर संकट से बचाने के लिए विश्व की जनसंख्या अगर एक-एक पेड़ लगाए तो पृथ्वी को फिर से हरा भरा बनाया जा सकता है।इसलिए हमें हर हाल में जीव जंतुओं के संरक्षण एवं पर्यावरण के संतुलन बनाए रखने हेतु प्रतिवर्ष जंगल को बचाने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने की परम आवश्यकता है।
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