कोरबा/करतला-(सुखनंदन कश्यप) ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के तमाम किस्से कोई नई बात नहीं है,जहां ग्राम विकास के लिए सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाओं के माध्यम से गांव के बदहाली की तस्वीर बदलने और ग्रामवासियों को बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास करती हैं, मगर सवाल यह उठता है कि क्या सच में शासन प्रशासन गांव के विकास पर ध्यान देती है? यदि हां तो आज भी क्यों ऐसे सैंकड़ों गांव हैं जहां के जनता प्रतिनिधि एवं ग्राम सचिव की लापरवाही से ग्राम वासियों में उदासीनता छाई रहती है, सचिवालय का चक्कर लगाते गांव के ग्रामीणों में कहीं नाराज़गी तो,कहीं उदासीनता देखी जा सकती है,मगर इससे ना तो पंचायत के सरपंच को कोई लेना देना रहता है ना ही पंचायत सचिव को।
कोरबा जिले के क्षेत्र में भी कुछ ऐसा ही हाल जनपद पंचायत करतला के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत नवापारा (रो.), रोगदा व बीरतराई है। जहां अक्सर देखा जाता है कि पंचायत भवन में ताला लटकते रहता है, बीरतराई के सचिव आवास खुला तो मिला लेकिन सचिव महोदया वहां नहीं मिला। अनिवार्य उपस्थित दिवस पर भी पंचायत भवनों में ताला लटके रहते हैं, ऐसे ही क्षेत्र में दर्जनों पंचायत है।
इसका मुख्य कारण यह हो सकता है कि प्रशासनिक अधिकारी इन पर कार्यवाही नहीं करते।
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