छत्तीसगढ़

मनरेगा से बना पशु शेड देवीराम के जीवन में आई खुशहाली

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जांजगीर-चांपा देवीराम, जो पहले अपने परिवार के लिए स्थायी आय के अभाव में संघर्ष कर रहे थे, ने मनरेगा के तहत अपने लिए एक पशु शेड बनवाने का अवसर मिला। उनके पास कुछ पशु तो थे, लेकिन शेड न होने के कारण उन्हें देखभाल में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। मनरेगा योजना के माध्यम से देवीराम ने न केवल पशु शेड बनवाया, बल्कि इससे उनकी आजीविका में सुधार हुआ। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ने ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों के लिए आजीविका और सशक्तिकरण के नए अवसर खोले हैं। इसी के तहत एक छोटे से गाँव में रहने वाले देवीराम की कहानी प्रेरणा का स्रोत बन गई है।

जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत कनई में के देवीराम जो पहले मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते थे, अक्सर स्थायी आय की कमी से परेशान रहते थे। उनके पास गाय तो थीं, लेकिन पशु शेड न होने के कारण पशुओं की देखभाल में समस्या होती थी। ऐसे में उन्हें महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से बनाए जाने वाले पशु शेड निर्माण की जानकारी रोजगार सहायक के माध्यम से मिलती है। देवीराम ने इस संबंध में तकनीकी सहायक से भी आवश्यक जानकारी ली। फिर तकनीकी सहायक ने प्रस्ताव को ग्राम सभा से पास कराकर उसे जनपद पंचायत के माध्यम से जिला पंचायत भेजा गया। जहां से 95 हजार 600 रूपए की राशि प्रशासकीय स्वीकृति के रूप में प्राप्त हुई। इसके बाद पशु आश्रय का निर्माण शुरू हुआ।

महात्मा गांधी नरेगा के श्रमिकों ने काम किया और उनका सपनों का पशु शेड बनकर तैयार हो गया। पशु शेड बनने के बाद, देवीराम के पशु बेहतर स्वास्थ्य में रहने लगे। इससे दूध का उत्पादन बढ़ा, जो उनकी आय का मुख्य स्रोत बन गया। अब देवीराम दूध बेचकर अपने परिवार की जरूरतें पूरी कर रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने गायों की संख्या बढ़ाकर दूध उत्पादन में और सुधार किया। पशु शेड बनने के बाद, देवीराम ने दूसरों को भी प्रेरित किया। गाँव के अन्य किसान भी मनरेगा योजना का लाभ उठाकर अपनी आजीविका में सुधार कर रहे हैं। मनरेगा ने देवीराम जैसे कई ग्रामीण परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई है। यह योजना न केवल रोजगार उपलब्ध कराती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास में भी योगदान देती है। देवीराम बताते हैं कि शासकीय योजना और मेहनत के माध्यम से गरीबी को हराया जा सकता है। यह न केवल उनके लिए, बल्कि उनके जैसे कई लोगों के लिए उम्मीद की किरण है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चलाई जा रही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने गरीब परिवारों के लिए नई उम्मीदें जगाई हैं। देवीराम ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, पशु शेड बनने से हमारे जीवन में बड़ा बदलाव आया है। पहले हमें बहुत दिक्कत होती थी, लेकिन अब हमारे पशु स्वस्थ हैं और उनकी उत्पादकता बढ़ गई है। इससे हमारे परिवार को स्थायी आय का जरिया मिल गया है।

DURGESH YADAV

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