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बस्तर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक बस्तर के नव आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी रहा है : डॉ राजाराम त्रिपाठी

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कोंडागांव – बस्तर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की पूर्व सेवायुक्तों अधिकारियों कर्मचारियों का भव्य पुनर्मिलन-समारोह कोंडागांव में रविवार को संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में लगभग सौ अधिकारियों कर्मचारियों तथा उनके परिजनों ने भाग लिया। कार्यक्रम के प्रथम भाग डीएनके कॉलोनी स्थित ‘मां दंतेश्वरी हर्बल परिसर’ में संपन्न हुआ। यहां सर्वप्रथम सभी अतिथियों का अक्षत तथा पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया। तत्पश्चात ‘बईठका-कक्ष’ में आयोजित बैठक में सभी लोगों ने सेवाकाल के अपने-अपने खट्टे मीठे संस्मरण साझा किए।

इस अवसर पर हर्बल की खेती जैविक खेती तथा विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया टीक और काली मिर्च के पेड़ों से तैयार नेचुरल ग्रीनहाउस के लिए देश में विदेश में पुरस्कृत किसान डॉ.राजाराम त्रिपाठी को बस्तर क्षेत्रीय ग्रामीण के समस्त बैंक कर्मियों की ओर से सम्मानित करते हुए स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि डॉ राजाराम त्रिपाठी ने औषधीय पौधों की खेती शुरू करने के पहले कुछ वर्षों तक ‘ स्टेट बैंक आफ इंडिया ‘ तथा राज्य सरकार के द्वारा प्रायोजित ‘बस्तर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक’ में अधिकारी/ शाखा-प्रबंधक के रूप में अपनी सेवाएं दी थी‌।

इस अवसर पर अपने भावुक व्याख्यान में डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में उनकी सफलताओं में बैंक के सेवा काल में उन्हें मिले कार्य प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन, संतुलित व्यवहार व कठोर अनुशासन की शिक्षा तथा सतत प्रशिक्षण का बड़ा योगदान रहा है,और वे आज भी अपनी मातृ संस्था बस्तर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा सभी साथी बैंक कर्मियों के दिल से आभारी हैं। बस्तर के दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवा का सूत्रपात करने, बस्तर के लोगों को बैंकों से पहली बार जोड़ने और बस्तर के समग्र विकास में बस्तर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक व उसके कर्मचारियों अधिकारियों का बड़ा योगदान रहा है। इस अवसर पर मां दंतेश्वरी हर्बल समूह की ओर से शिप्रा त्रिपाठी ने मां दंतेश्वरी की भतरी बोली में वंदना गीत तथा स्वागत-गीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया।

तत्पश्चात मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के डॉ राजाराम त्रिपाठी, शिप्रा त्रिपाठी, अनुराग त्रिपाठी, जसमती नेताम,बलई चक्रवर्ती,, रमेश पंडा, कृष्णा नेताम, शंकर नाग,संजय कोर्राम द्वारा बस्तर के ग्रामीण अंचलों की दीर्घकालीन सेवा हेतु बैंक अधिकारी सत्येंद्र पांडे,रामकुमार पात्र, अलखराम सिंहा, डॉ एलएन खोबरागड़े, अशोक तिवारी,पीके राघव, वीरेंद्र साहू , वसीम अख्तर,एनके ओट्टी,राजीव सेलोकर, जनक प्रसाद पांडे, ऊषालता राव,कोशी फिलिप्स,आरती फिलिप्स, एचएस मरावी,सनातन नाग, धन सिंह ठाकुर, सुब्रत मुखर्जी,जनक प्रसाद पांडे,सुब्रत मुखर्जी,आरपी जोशी, विनोद सुरोजिया,जेपीएन शर्मा,अमीन करीम गाजी, मुरली पालीग्राही, विश्वजीत कर, वेणु गोपाल राव,उत्तम धर, हरक राम धनेलिया, कलीराम सेन,एन नेताम, श्री हरिनाथ यादव, पितुराम पांडे, लोकनाथ राठौर, गजेंद्र ठाकुर,भूपेंद्र ठाकुर, रमेश सिंह, राजेश सावरकर कोसरिया,एम गेडाम, रवीन्द्र यादव,एआर पांडे आदि सभी अतिथियों का सपरिवार अंगवस्त्रम से सम्मानित करते हुए ‘नागरिक-अभिनंदन’ किया गया। इसके साथ ही मां दंतेश्वरी हर्बल समूह द्वारा कोंडागांव में उगाई गई काली मिर्च भी भेंट की गई।

तदोपरांत जलपान के पश्चात कार्यक्रम के दूसरे भाग में बैंक अधिकारियों कर्मचारियों समेत 100 से अधिक लोगों का काफिला चिकलपुटी स्थित ‘ मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म तथा रिसर्च सेंटर’ पहुंचा। यहां पर देश में सबसे ज्यादा नगद लाभ देने वाली ऑस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च की सफल युगलबंदी से तैयार नेचुरल ग्रीनहाउस मॉडल का अध्ययन किया गया, इसके साथ ही अनुराग त्रिपाठी तथा जसमती नेताम ने इन ऑस्ट्रेलिया टीम के पेड़ों के नीचे उगने वाले जड़ी बूटियों का विस्तार से परिचय भी दिया गया। उल्लेखनीय रूप से शक्कर से 25 गुना ज्यादा मीठी होने के बावजूद जीरो कैलोरी वाली बूटी (स्टीविया ) की पत्तियों को चखकर और यह जानकर कि यह इतना ज्यादा मीठा होने के बावजूद ये मीठी पत्तियां शक्कर का सुरक्षित विकल्प होने के साथ ही साथ डायबिटीज की बीमारी का कारगर इलाज भी है, सभी हैरान रह गए।

इस अवसर पर सत्येंद्र पांडे ने कहा कि डॉ राजाराम त्रिपाठी जी अपने जुनून, कठोर परिश्रम और तपस्या के बूते देश विदेश में कृषि के क्षेत्र में अव्वल स्थान हासिल किया है, हर ग्रामीण बैंक कर्मी को आज उन पर गर्व है। डॉक्टर खोबरागड़े ने कहा कि डॉक्टर राजाराम को जब भी कोई अवार्ड मिलता है तो हम ग्रामीण बैंक परिवार के सभी को लगता है कि मानो वो अवार्ड हमें ही मिला है‌। फिर पीके राघव तथा विश्वजीत कर,उत्तम धरने डॉ. त्रिपाठी के साथ काम करने के दरम्यान हुए अपने अनुभव साझा किये।
भले ही कालांतर में ‘बस्तर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक’ का विलय राज्य के अन्य ग्रामीण बैंकों के साथ ही ‘छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक’ में हो गया, परंतु बस्तर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के पूर्व सेवायुक्तों में परस्पर एक परिवार की भांति प्रेम,अपनापन और भाई चारा कायम है। इस अवसर पर “बस्तर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक जिंदा है” के नारे भी लगाए गए , और साथ ही आगामी पुनर्मिलन समारोह कांकेर में करने की घोषणा भी की गई।

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