जांजगीर-चांपा महात्मा गांधी नरेगा से ग्राम पंचायतों में बहने वाले नालों की तस्वीर सुधरने लगी हैं। इन बरसाती नालों से किसानों को मिली सिंचाई सुविधा से उनके माथे पर आई सिलवटे गायब हुई है। मनरेगा योजना से नाला की साफ-सफाई और खुदाई होने के बाद खैजा ग्राम पंचायत के नाले में बारिश का पानी संग्रहित होने लगा है और दोहरी फसल के साथ ही सब्जी बाड़ी लगाकर किसान खुशहाल जिंदगी जीने लगे हैं।
जांजगीर-चांपा जिले के विकासखण्ड बलौदा के अंतर्गत आता है ग्राम पंचायत खैजा। इस ग्राम पंचायत के मोहल्ला सोहनपुर से होकर ग्राम पंचायत बोकरामुड़ा में लगभग 03 कि.मी. लंबाई तक नाला में पानी बहता है। ग्राम पंचायत खैजा एवं बोकरामुड़ा के किसान इस नाले पर ही अपनी खेती एवं बाड़ी करते आ रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे इस नाले के भीतर में सील्ट (गाद) बहुत अधिक मात्रा में जमा होने के कारण पानी का बहाव बहुत ही कम हो गया था और साथ ही नाला में बड़ी-बडी घास उग आई थी। जिससे नाला के पानी का बहाव कम हो गया था और नाला अच्छे से दिख नहीं रहा था। जिसके कारण किसान के खेत में लगे धान का फसल की सिंचाई के लिये पानी समय पर खेत में नहीं पहुंचता था, इस समस्या से परेशान किसानों ने इसके लिए उचित समाधान ढूंढने का काम किया। तब उन्हें ग्राम रोजगार सहायक ने महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से जल संरक्षण के तहत नाला सफाई के कार्य से अवगत कराया। फिर क्या था एक पल की देरी किये बगैर ही सभी ने मिलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत् ग्राम पंचायत खैजा के नाला का सफाई का कार्य का प्रस्ताव तैयार कराकर उसे जनपद से जिला पंचायत प्रशासकीय स्वीकृति के लिये भेजा गया। कार्य की मांग को देखते हुए जिला पंचायत के माध्यम से 5.20 लाख रूपए की मंजूरी दी गई। मंजूरी मिलने के बाद महात्मा गांधी नरेगा के पंजीकृत जॉबकार्डधारी परिवारों ने मिलकर कार्य प्रारंभ किया। नाला के भीतर जमा हुआ सील्ट (गाद) को साफ किया गया, जिससे नाला के भीतर की जमीन एक परत में हो जाने से पानी का बहाव तीव्र गति से होने लगा। पानी का बहाव तीव्र गति से होने से ग्राम पंचायत खैजा एवं ग्राम पंचायत बोकरामुड़ा के लगभग 100 एकड़ खेत में धान के फसल के लिये नाला के पानी से सिंचाई होने लगी। नाला के पानी से किसानों के खेत में सिंचाई होने के कारण धान का फसल की पैदावार बहुत अच्छी हुई। वहीं इस बार किसान पानी की सुविधा होने के कारण धान की फसल इस बार और अधिक होने की उम्मीद लगाए हैं। नाला का पानी खेत में सिंचाई होने के अतिरिक्त पानी बहकर चौतरिया नाला से होकर हसदेव नदी में चला जाता है। नाला का सफाई कार्य होने से वाटर रिचार्ज एवं नमी अधिक समय तक बनी रहेगी। इसके अलावा मवेशियों एवं अन्य जीव जंतुओं को नाला में पर्याप्त मात्रा में पानी मिलने लगा है। किसानों के खेत में नाला का पानी से सिंचाई होने से धान का फसल हरा भरा है एवं धान का पैदावार में वृद्धि होने से उनके चेहरे की रौनक फिर से लौट आई है और उनकी समृद्धि के रास्ते खुल गए हैं। मनरेगा न केवल नाले की तस्वीर बदलेगी बल्कि दो गांवों के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मुहैया कराया है। योजना के तहत मनरेगा के मजदूरों को काम भी गांव में ही मिल गया।
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