जांजगीर-चांपा कलेक्टर आकाश छिकारा के निर्देशन में जिला पंचायत सभाकक्ष में बुधवार को भारत सरकार जल शक्ति मंत्रालय जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग के विकास केंद्रीय भूमि जल बोर्ड उत्तर मध्य छत्तीसगढ़ क्षेत्र रायपुर द्वारा भूजल संबंधित सार्वजनिक जनसंवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य भूजल संरक्षण और पुनर्भरण के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है । जनसंवाद में जांजगीर चांपा एवं सक्ती जिले के विभागीय अधिकारी, कर्मचारी सम्मिलित हुए। इस दौरान विषय विशेषज्ञ क्षेत्रीय निर्देशक डॉ प्रबीर कुमार नायक ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर डीएफओ श्रीमती प्रियंका पांडे, जिला पंचायत सीईओ श्री गोकुल रावटे मौजूद रहे।
इस दौरान विषय विशेषज्ञ शुभम प्रकाश दाश सहायक भूजल वैज्ञानिक, डॉ अजय कुमार सिन्हा वैज्ञानिक, बी अभिषेक वैज्ञानिक वर्तमान में भूजल स्तर में हो रही गिरावट के कारणों पर चर्चा की, जिसमें अंधाधुंध जल दोहन, जलवायु परिवर्तन और अनियमित वर्षा जैसी समस्याओं का उल्लेख किया। इस मौके पर उन्होंने जल संरक्षण से किसानों और स्थानीय निवासियों को विभिन्न भूजल संरक्षण उपायों के बारे में जानकारी से अवगत कराने कहा।इनमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सिंचाई और वाटरशेड मैनेजमेंट जैसे उपाय शामिल है। पीपीटी के माध्यम से कुछ ऐसे सफल उदाहरण प्रस्तुत किए गए, जहाँ पर मिलकर भूजल स्तर में सुधार किया गया एवं भूजल में सुधार करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में सामूहिक प्रयास की महत्वता पर जोर दिया गया, जिसमें विभागों, सामाजिक संगठनों और आम जनता को मिलकर भूजल संरक्षण के लिए काम करने की बात कही गई। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ गोकुल रावटे ने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से जिले में जल संरक्षण जल संचय का कार्य लगातार किया जा रहा है, वाटर रिचार्ज के लिए सोकपीट से लेकर, डबरी, कुआं, तालाब, स्टॉपडेम का कार्य हो रहा है, इसके साथ ही विभिन्न विभागों द्वारा भी भूजल स्तर को बढ़ाने का सतत प्रयास हो रहा है।
जनसंवाद कार्यक्रम के माध्यम से भूजल से संबंधित जुड़ी जानकारी से तकनीकी अमले को अवगत कराया गया, इस महत्वपूर्ण जानकारी मिलने से और बेहतर कार्य जमीनी स्तर पर हो सकेगा। विषय विशेषज्ञों ने बताया गांव में कहा, किस जगह पर वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर बनाया जाना है इसकी जानकारी फील्ड अमले को होना जरूरी है। जिले में भूजल स्रोतों के अत्यधिक दोहन के कारण भूजल स्तर दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है। उन्होंने कहा कि रबी और कुछ स्थानों पर ग्रीष्मकालीन फसलें भी भूजल से ली जाती हैं। जिसके लिए भारी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। परिणामस्वरुप जल स्तर में गिरावट आयी है। इस दौरान विशेषज्ञों ने कहा किस तरह की वाटर संरचना की जरूरत है इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रशिक्षण के दौरान भूजल स्तर संरक्षण संबंधी लाईव डोमो भी दिखाया गया। जनसंवाद कार्यक्रम में कार्यपालन अभियंता, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, कार्यपालन अभियंता सिंचाई विभाग, उपसंचालक कृषि, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत, अनुविभागीय अधिकारी, परियोजना अधिकारी, कार्यक्रम अधिकारी (मनरेगा), उप अभियंता, तकनीकी सहायक जनपद पंचायत शामिल हुए।
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