होशियारपुर – ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर एवं हिन्दू राष्ट्र के प्रणेता अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज चातुर्मास्य के अतिरिक्त शेष दिनों में अपने राष्ट्र व्यापी प्रवास कार्यक्रमों में सनातन मान बिन्दुओं की रक्षा के लिये सभी सनातनी एवं राष्ट्रभक्त धर्मावलंबियों को सजग एवं सचेत करने का महाअभियान संचालित करते हैं। वर्तमान में अपने गाजियाबाद दिल्ली प्रवास पूर्ण कर होशियरपुर पंजाब के श्रीविमलाम्बा शक्ति संस्थान में निवासरत हैं।
प्रतिदिन प्रात: एवं सायंकालीन सत्रों में आमजन दर्शन लाभ के साथ साथ राष्ट्रीय धार्मिक एवं सम सामयिक विषयों पर मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं। महाराजश्री का वर्तमान में चल रही लहर कि जात पांत की करो बिदाई , हम सब हिन्दू भाई भाई अभियान पर शास्त्र सम्मत दृष्टिकोण बताते हैं कि आंदोलन के नेतृत्वकर्ता अभी बाल गोपाल हैं उनको अभी बहुत कुछ सीखना है। गीता के पहले अध्याय में उल्लेखित है कि जातिधर्माः कुलधर्माश्च शाश्वताः , कुलधर्माः सनातनाः। अर्जुन ने यहाँ जो कहा ये सिद्धान्त पक्ष है। वैदिक वांग्मय में कहीं इसका खंडन नहीं है। अर्जुन की शंका क्या थी कि संभावित युद्ध की चपेट में आकर सनातन जातिधर्म – कुलधर्म कहीं विकृत तो नहीं हो जायेगा। जातिधर्म और कुलधर्म को शाश्वत कहा गया है।जातिधर्म कुलधर्म को विकृत करने का प्रयास नहीं करना चाहिये। जो जातिधर्म को विकृत करने चले , पहले स्वयं विकृत हो गये। किसी को कोई मारने चलेगा और पहले स्वयं मर जायेगा तो मारेगा क्या। जो जातिधर्म कुलधर्म को विकृत करना चाहेगा या जिन्होंने चाहा वे पहले विकृत होंगे। इसीलिए जातिधर्म कुलधर्म के स्वरूप स्वभाव प्रभाव को समझ कर इनका अनुपालन करना चाहिये। इनको विकृत करने वाला स्वयं विकृत हो जाता है और इनको विलुप्त करने वाला स्वयं विलुप्त हो जाता है। इतिहास से शिक्षा लेनी चाहिये।
पुरी शंकराचार्यजी गौरक्षा के प्रति समाज का असहयोग , गौ रक्षकों के उत्पीड़न और उनके मनोबल में हो रहे ह्रास को लेकर किये गये जिज्ञासा पर उद्घृत करते है कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कहा था कि गौहत्या बंद कर देनी चाहिये। पर जो प्रधानमन्त्री पद पर पहुँचता है वो क्रिश्चियन , कम्युनिस्ट , मुस्लिमतन्त्र का दासानुदास बन जाता है। उसमें इतना धैर्य नहीं होता कि क्रिश्चियन , कम्युनिस्ट , मुस्लिम तन्त्र का दासानुदास बने बिना वो कार्य कर सके और सबको प्रभावित कर सके। मोदी को बतौर प्रधानमंत्री दस वर्ष बीत गये ग्यारहवाँ वर्ष चल रहा है, गोरक्षा के नाम पर प्रधानमंत्री बनें और अब वो कहते हैं कि गोरक्षक गुंडे। जो उस पद पर पहुँचता है सब भंगेरी हो जाता है, इससे ज्यादा दुर्दशा देश की क्या होगी। लेकिन ‘विप्र, धेनु, सुर, संत हित लीन्ह मनुज अवतार’- भगवान के अवतार के जो भी प्रयोजन हैं वो सभी क्रियान्वित हो रहे हैं। भगवान कुपित होकर दमन के लिये साक्षात या नित्यावतार संत के रूप मे अभिव्यक्त होकर काम करेंगे ही। विकृति की पराकाष्ठा के गर्भ से संस्कृति निकलती ही है। कृष्ण पक्ष का पर्यवसान शुक्ल पक्ष मे होता ही है। कुछ संस्थानो में एक नियम चला है कि जो भारत के बाहर रहने वाले गोभक्षक हैं उनको ताजा मांस मिल सके इसीलिए सीधा गाय बैल आदि को भेजो, उनकी बलि देकर वो ताजा मांस खायें। ये गोहत्या की पराकाष्ठा है। दूसरी बात ये है कि कल्पना कीजिये कि किसी गौशाला में चालीस बछड़े ही हर साल उत्पन्न होते हैं। बछड़े हल में तो उपयोगी होंगे नहीं। हल और बैलगाड़ी का युग तो चला गया। जब उनकी उपयोगिता ही लुप्त कर दी गयी तो उनका नाश होगा या नहीं ? गोशाला के माध्यम से भी आँख मींच कर गोहत्या का मार्ग प्रशस्त करना पड़ता है। पंजाब में ऐसे इंजेक्शन का आविष्कार तक किया गया है कि बछड़े हो हीं नहीं ये भी एक प्रकार से हत्या ही है। गोवंश की रक्षा ही किस प्रकार हो जब तक शासनतन्त्र ही गोरक्षा का पक्षधर ना हो। इसीलिये आज आमूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता है।
पुरी शंकराचार्यजी का होशियारपुर प्रवास सात दिसम्बर तकगौरतलब है कि ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर एवं हिन्दू राष्ट्र प्रणेता अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज अपनी राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के तहत 27 नवम्बर से 07 दिसम्बर तक श्रीविमलाम्बा शक्ति संस्थानम , टांडा रोड , हरदोखानपुर , होशियारपुर (पंजाब) में निवासरत हैं। जहां प्रत्येक दिन पूर्वान्ह साढ़े ग्यारह बजे दर्शन / दीक्षा / संगोष्ठी तथा सायं पांच बजे दर्शन के साथ ही आध्यात्मिक संदेश श्रद्धालुओं को श्रवण करने का सुअवसर प्राप्त होगा। यहां आयोजित सभी कार्यक्रमों की समाप्ति पश्चात महाराजश्री अपनी राष्ट्रव्यापी राष्ट्र रक्षा अभियान के अगले चरण के लिये प्रस्थान करेंगे। गौरतलब है कि अपने प्रयागराज प्रवास में विभिन्न सत्रों में पुरी शंकराचार्यजी ने उद्घृत किया कि खालिस्तान आंदोलन गुरु गोविंद सिंहजी के भावना के विपरीत है क्योंकि उन्होने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिये ही खालसा पन्थ की स्थापना की थी। जैन / सिख एवं बौद्ध हिन्दूओं के अभिन्न अंग हैं। हिन्दुओं के सुरक्षित रहने पर ही सभी धर्मावलम्बी सुरक्षित रह सकेंगे , क्योंकि हिन्दू धर्म के मूल में सम्पूर्ण मानवता की रक्षा एवं विश्व कल्याण की भावना समाहित है। आज सम्पूर्ण विश्व उन्माद तन्त्र के कारण विनाश की ओर अग्रसर हो रहा है , यदि विभिन्न शासकवर्ग पुरी शंकराचार्यजी द्वारा समय समय पर उद्बोधित संदेशों पर अमल करना आरम्भ करें तो पूरे विश्व में शान्ति और समन्वय स्थापित हो सकता है। इसकी जानकारी श्रीसुदर्शन संस्थानम , पुरी शंकराचार्य आश्रम / मीडिया प्रभारी अरविन्द तिवारी ने दी।
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