आज के आधुनिक भौतिक सुविधाओं के युग में मनुष्य तनाव, असंतोष एवं नकारात्मकता के जाल में फंस गया है। एक पड़ोसी दूसरे पड़ोसी की सुविधा एवं उन्नति को देखकर उसे पचा नहीं पा रहा है। किसी में जलन और ईर्ष्या तो किसी में अहंकार घर कर गया है। ऐसे समय में हम जाने अनजाने में मानसिक बीमारियों और दुर्गुणों का ग्रास बनते जा रहे हैं। इन सब से निकलने का मार्ग स्वयं से स्वयं की मुलाकात एवं स्वयं से स्वयं का साक्षात्कार है जो अल्पविराम लेने से स्वत संभव है। उक्त अनुभव एवं विचार 3 मिनट का मौन अभ्यास एवं प्रतिभागियों को प्रसन्न करने वाली गतिविधि करवा कर जिला समन्वयक डॉ. दिनेश कश्यप आनंद विभाग जिला धार ने कहीं। आपने कहा कि यह कार्यक्रम हमें यह सिखाता है कि जीवन की असली खुशी बाहरी उपलब्धियां नहीं बल्कि अपने भीतर की कमियों को पहचान एवं उन्हें सुधारने से आती है। आत्मनिरीक्षण हमें दूसरों के साथ बेहतर संवाद और संतुलित संबंध बनाने की श्रेष्ठ विधि है इसका सतत अभ्यास हमारी समझ को बढ़ाता है ।