कोरबा–जनजातीय समाज की विलुप्तता को देखते हुए शासकीय नवीन आदर्श महाविद्यालय कोरबा (छ. ग) में 22 अक्टूबर को जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई. जिसका मुख्य उद्देश्य जनजाति समाज के गौरवशाली अतीत को याद कर उनके ऐतिहासिक सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान को उजागर करना था. जिसके अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बी.एल. साय विभाग अध्यक्ष भूगोल शासकीय ई.वी.पीजी महाविद्यालय कोरबा, विशिष्ट अतिथि . दिनेश श्रीवास सहायक अध्यापक हिंदी शासकीय ई.वी.पीजी महाविद्यालय कोरबा मौजूद रहे. कार्यक्रम की शुरुआत आदर्श महाविद्यालय की प्राचार्य आसमा सिंह कंवर ने अपने उद्बोधन से की. जिसमें उन्होंने आदिवासी समाज के योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें भारतीय जागरण का अग्रदूत बताया. कार्यक्रम में मौजूद विशिष्ट अतिथि दिनेश श्रीवास ने आदिवासी समाज की वर्तमान भूमिका के महत्व को बताते हुए उनके बारे में चर्चा की. मुख्य वक्ता बी. एल. साय ने आदिवासी शब्द का अर्थ बताते हुए उसके बारे में सभी को बताया. साथ ही इन्होंने जनजातीय समाज के विद्रोह और आंदोलन को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रेरक कहा. कार्यक्रम को आगे बढ़ते हुए महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने विभिन्न जनजाति नृत्य की समूह प्रस्तुति की. इस पूरे कार्यक्रम का संयोजन तथा उप संयोजन सुषमा धुर्वे तथा धीरेन्द्री राठिया ने किया.मंच संचालन का कार्यभार छात्र रघुवीर उरांव और छात्रा काजल सिदार ने किया. कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं सहित प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक अंजु दिवाकर, राजेश्वरी कुर्रे, मो. नदीम अंशारी, रविकांत कुर्रे, सूरज पटेल, वीरेंद्र श्रीवास, रौशन पांडे , रोशनी राठौर, ललिता प्रजापति और कर्मचारी गण उपस्थित रहे. कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन धीरेंद्री राठिया ने किया.