राजनांदगांव :- विगत दिनों राजधानी रायपुर में प्रदेश स्तरीय बैठक संपन्न हुआ। बैठक में प्रदेश के कोने-कोने से पदाधिकारी पहुंचे सभी ने अपने अनुभव साझा किए और आज के दौर में संगठन पदाधिकारी के नीति -रीति पर नाराजगी जताते हुए हारुन मानिकपुरी ने कहा कि अक्सर हम देखते हैं कि कोई समाजिक संस्था हो या संगठन या कोई राजनीतिक पद,इन सब पर जो भी व्यक्ति मनोनयन, चयन,या निर्वाचन द्वारा जब काबिज होता है तो उसके बाद उसका रुतबा ही बदल जाता है उसको ऐसा लगता है कि मैं तो और बाकि सब प्रजा , को मुंगेरी लाल के हसीन सपने दिखाकर सिर्फ और सिर्फ धन संचय में लीन होकर अक्सर पद पाकर व्यक्ति अपने पद में इतना मगरूर हो जाता है और अपने नैतिक जिम्मेदारियों का समुचित निर्वहन करने में असफल रहता है। नतीजतन संगठन को फिर से बदलाव की आवश्यकता को महसूस करती है। अगर हमें समाज, संगठन या विधी द्वारा स्थापित कोई भी प्रावधान के अंतर्गत कोई भी पद मिलता है तो निश्चित ही यह हमारी खुशनसीबी है। उन्होंने कहा कि मेरे विचार से हमें पद ग्रहण करके अपने स्वभाव में विनम्रता रानी चाहिए, उग्रता नहीं। हमें किसी भी तरीके से अगर नेतृत्व करने का मौका मिला है तो उस सुअवसर का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए हमें कर्मठ बनकर अपने कार्यकर्ताओं को साथ लेकर अपनी योग्यता को सेवा के माध्यम से परिलक्षित करना चाहिए ताकि अन्य सभी हमारे अच्छे कार्यों का अनुसरण करें। हमें यह भी स्वीकार करना पड़ेगा कि नेतृत्व का मतलब, लोगों को सही रास्ता दिखाना होता है ना कि हुकूमत करना। समय सब को मौका देता है,हर बार इतिहास अपने आप को दोहराता है। जब तक हमें इस सच्चाई का अनुभव होता है तब तक वो सुनहरा मौका हमारे हाथ से कोसों दूर निकल चुका होता है।