कोण्डागांव, छत्तीसगढ़ (28 फरवरी 2025): त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के परिणामों ने कोण्डागांव जिले की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। जिला पंचायत चुनाव में भाजपा और कांग्रेस 12 सीटों पर लगभग बराबरी पर हैं, जिसके बाद दोनों दलों के बीच अध्यक्ष पद को लेकर संघर्ष और खींचतान तेज हो गई है। भाजपा ने पहले ही स्पष्ट रूप से यह दावा किया है कि जिला पंचायत का अध्यक्ष पद उनके दल के खाते में जाएगा।
भाजपा का दावा – कांग्रेस की गुटबाजी का लाभ उठाएंगे
भाजपा के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस में गुटबाजी और आंतरिक कलह की स्थिति बनी हुई है, जिसकी वजह से वह अपने सभी निर्वाचित सदस्यों को एकजुट नहीं रख पाएगी। भाजपा का मानना है कि कांग्रेस के अंदर आपसी मतभेद और असमंजस की स्थिति का फायदा उन्हें मिलेगा और वे जरूरी बहुमत जुटाकर जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अपने नाम कर लेंगे। भाजपा का यह भी कहना है कि कांग्रेस के कई सदस्य निष्ठा बदल सकते हैं, जिससे उनकी स्थिति मजबूत हो सकती है। पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि वे निर्दलीय और असंतुष्ट प्रत्याशियों को अपने पक्ष में लाने में सफल होंगे।
जनपद पंचायत चुनाव में भाजपा का दबदबा
कोण्डागांव जिले के जनपद पंचायतों में भाजपा का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दिया है। कोण्डागांव जनपद पंचायत में कुल 25 सीटों में से भाजपा ने 17 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस को केवल 8 सीटें मिलीं। माकड़ी जनपद पंचायत में भी भाजपा ने 12 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 4 सीटें मिलीं। फरसगांव में भाजपा ने 20 में से 14 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस को 6 सीटें मिलीं। केशकाल और विश्रामपुरी (बड़ेराजपुर) जनपद पंचायतों में मुकाबला अपेक्षाकृत कड़ा रहा, जहां भाजपा और कांग्रेस दोनों ने 9-9 सीटें जीतीं। इन परिणामों के आधार पर भाजपा ने पूरे जिले में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है और अब जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर अपना दावा प्रस्तुत किया है।
कांग्रेस की चुप्प – अंदरूनी समीकरण पर काम जारी
कांग्रेस पार्टी ने अभी तक अपनी रणनीति सार्वजनिक नहीं की है, लेकिन पार्टी के अंदर इस मुद्दे पर गहन चर्चाएं जारी हैं। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि वे पार्टी के अंदर के समीकरणों को ठीक करने के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं। कांग्रेस का मानना है कि अध्यक्ष पद के लिए उनके पास पर्याप्त समर्थन है, लेकिन यह स्थिति कुछ दिनों में ही स्पष्ट होगी। कांग्रेस अपने गुटों को एकजुट करने और भाजपा के दावे को चुनौती देने के लिए रणनीति तैयार कर रही है।
निर्दलीय और असंतुष्ट सदस्य – समीकरण का अहम हिस्सा
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि किस तरह भाजपा और कांग्रेस निर्दलीय या असंतुष्ट प्रत्याशियों को अपने पक्ष में लाने में सफल होते हैं। जिला पंचायत के अध्यक्ष पद पर अंतिम फैसला इन समीकरणों पर निर्भर करेगा। वर्तमान में दोनों दलों के बीच राजनीतिक संघर्ष और जोड़-तोड़ की जंग तेज हो गई है।
आगे की राजनीति
अब आगे की राजनीति इस बात पर निर्भर करेगी कि दोनों दल किस प्रकार अपने अंतर्निहित समीकरणों को साधते हैं और किसे अपने पक्ष में करते हैं। इन समीकरणों के सही तरीके से जोड़ने पर ही कोण्डागांव जिला पंचायत के अध्यक्ष पद का फैसला होगा। अगले कुछ दिनों में तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगी कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद किसके हाथ में जाएगा – भाजपा या कांग्रेस?
यह सियासी संघर्ष कोण्डागांव जिले की राजनीति को एक नया मोड़ दे सकता है, और चुनाव परिणामों के बाद इस संघर्ष का राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और भी महत्वपूर्ण हो गया है।