
कोंडागांव, 12 मार्च 2025: कोंडागांव जिले में मर्चुरी यानी शवगृह में नियमित स्वीपर की कमी से लोग परेशान हैं। यहां शवों के पोस्टमार्टम के लिए अक्सर घंटों इंतजार करना पड़ता है, खासकर जब कोई दुर्घटना होती है और मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि शवघर में नियमित स्वीपर न होने की वजह से शवों की सफाई और रखरखाव में समस्याएं आ रही हैं, जिसके कारण पीड़ित परिवारों को काफी असुविधा होती है।
समस्याएं और पीड़ित परिवारों की कठिनाइयाँ:
जिला अस्पताल स्थित शवघर हो या अन्य मर्चुरी में शवों का पोस्टमार्टम कराने के लिए पीड़ित परिवारों को कई घंटों तक इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि शवघर में नियमित स्वीपर की नियुक्ति नहीं है। शवों को रखे जाने की जगह की सफाई और उचित रखरखाव की व्यवस्था भी पर्याप्त नहीं हो पाती, जिसके कारण शवगृह की स्थिति खराब हो जाती है। इस कारण पीड़ित परिवारों को न केवल मानसिक रूप से तनाव का सामना करना पड़ता है, बल्कि शवों की स्थिति भी बिगड़ सकती है।
इसके अलावा, निजी तौर पर काम करने वाले स्वीपरों की अनियमितता और उनका भुगतान भी एक समस्या बनकर उभरा है। कई बार ये स्वीपर अपनी सेवाओं के लिए मनमाने तरीके से पैसे की मांग करते हैं, जिससे पीड़ित परिवारों को अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ता है। इससे साफ है कि यह समस्या न केवल शवों की देखभाल और पोस्टमार्टम में देरी का कारण बन रही है, बल्कि पीड़ित परिवारों को मानसिक और आर्थिक दबाव भी झेलना पड़ता है।
सरपंच ने उठाई मांग:
इस समस्या को लेकर भानपुरी के सरपंच सुभाष कुमार पोयाम ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि जिले के पांचों ब्लॉकों में नियमित स्वीपरों की नियुक्ति की जाए, ताकि पोस्टमार्टम के लिए शवों का इंतजार कम हो सके और शवघरों की सफाई और देखभाल भी बेहतर हो सके। उन्होंने मीडिया के माध्यम से यह मांग की है कि यह कदम उठाए जाएं ताकि पीड़ित परिवारों को अधिक कष्ट न झेलना पड़े और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शीघ्रता से संपन्न हो सके।
जिला प्रशासन की ओर से कोई कदम?:
अब यह देखना होगा कि जिले के प्रशासन द्वारा इस मामले पर क्या कदम उठाए जाते हैं। शवघरों की स्थिति में सुधार और नियमित स्वीपर की नियुक्ति से न केवल पोस्टमार्टम प्रक्रिया में समय की बचत होगी, बल्कि पीड़ित परिवारों को भी राहत मिलेगी। इससे मर्चुरी और शवगृहों में सफाई और सुविधाओं का स्तर बेहतर हो सकेगा और लोगों को अतिरिक्त परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कोंडागांव जिले में इस मुद्दे की गम्भीरता को देखते हुए अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और भी विकट हो सकती है, जिससे आम जनता और पीड़ित परिवारों को और अधिक कष्ट झेलने पड़ सकते हैं।